योग से क्या लाभ है ?
महर्षि पतंजलि मुनि ने समाधिपाद के दूसरे सूत्र में लिखा था कि चित्त की वृत्तियों को निरोध ही योग है। इस पर यह प्रश्न उठना स्वभाविक है कि योग से क्या लाभ है ? महर्षि पतंजलि मुनि ने इसी प्रश्न का उत्तर देते हुए योगदर्शन शास्त्र के समाधिपाद में तीसरा सूत्र लिखा है। जो इस प्रकार है -
तदा द्रष्टु: स्वरूपेऽवस्थानम् ।।
इस सूत्र का अर्थ है कि तब दृष्टा अर्थात साधक अपने स्वरूप अर्थात असली रूप में स्थित होता है।
स्वरूप से तात्पर्य अपने शुद्ध और स्वभाविक रूप से है। हमारा शुद्ध और स्वभाविक रूप सच्चिदानन्द है। सच्चिदानन्द, सत + चित्त + आनन्द से मिलकर बना है। योग का एकमात्र लाभ अपने सच्चिदानन्द रूप की प्राप्ति है, जहाँ स्वास्थ्य (अर्थात स्व में स्थित होना ही असली स्वास्थ्य है, क्योंकि हम स्वभाव से निरोगी और मुक्त है), और सच्चा आनंद व मुक्ति है।
योगाचार्य सत्यवीर सिंह मुनि।

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