शनिवार, 29 फ़रवरी 2020

how to do siddhiyoni asan

HOW TO DO SIDDHIYONI ASAN

सिद्धासन अर्थात सिद्धयोनि  आसन।



सिद्धासन को ही सिद्धयोनि आसन भी कहते है। सिद्धासन शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ने का सर्वश्रेष्ठ आसन है। सिद्धासन को आसनों का राजा कहा जाता है। सिद्धासन के सिद्ध होने के पश्चात साधना के लिए किसी अन्य आसन की आवश्यकता नहीं होती है। सभी आसनों में सिद्धासन ही एक मात्र ऐसा आसन है, जिसमें लम्बे समय तक सुखपूर्वक बैठा जा सकता है। 
Siddhiyoni Aasan

सिद्धासन की विधि :-

                                                सिद्धासन का अभ्यास करने के लिए स्वच्छ एवं शांत वातावरण में समतल स्थान पर मुलायम आसान बिछाकर दोनों पैर आगे करके बैठ जाए। अब दायें हाथ से बायें पैर का अंगूठा पकड़ कर, पैर को घुटने से मोड़े। बायें पैर के तलवे को दायी जाँघ से इस प्रकार सटाये कि एड़ी का दबाव सीवनी, जिसे योनिस्थान (जननेंद्रिय एवं गुदा के बीच का स्थान ) भी कहा जाता है को स्पर्श करें। बायें हाथ से दायें पैर का अंगूठा पकड़ कर, पैर को घुटने से मोड़े और दायें पैर का टखना बाएं पैर के टखने के ठीक ऊपर रहे। बायें पैर के पंजे को दायें पैर की जांघ और पिंडली के बीच में फसा दें, इसी प्रकार दायें पैर के पंजे को बायें पैर की जांघ और  पिंडली के बीच  फसा दें। इस प्रकार सिद्धासन या सिद्धियोनि आसन की स्थिति बन जाती है। शरीर सीधा और स्थिर रखना चाहिए। शरीर ग्रीवा और सिर एक सीध रहें।
 

 

सिद्धासन के लाभ :-  

      सिद्धासन से खांसी , श्वास फूलना , जुकाम, हृदय रोग, पेचिश, स्वपनदोष, अतिसार आदि में लाभ होता है।

सावधानी :-

 साइटिका और रीढ़ के नीचे के भाग के रोगों से ग्रस्त लोगों को सिद्धासन अर्थात सिद्धयोनि आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।                

                               

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